भारतीय परिधान…
भारतीय परिधान सजीला
पहने जो भी लगे रंगीला।
देखी मैने एक सुन्दर बाला
हाँथों में चूड़ी, कानों में बाला।
जुल्फें जिसकी काली-काली
होंठों से टपक रही थी लाली।
माथे पर थी नीली बिंदी
होंठों पर थी अनुपम हिंदी।
सुन्दर साड़ी लाल किनारी
कमर में बिछुए भारी-भारी।
कहीं संभाले पल्लू सरपट
चाल थी उसकी डगमग-डगमग।
पीठ छुपाती कहीं बेचारी
असुविधाजनक थी साड़ी भारी।
खूबसूरती परिधान में होती
नज़र है जिनकी गंदी होती।
यही अलापें वह दिन-रात
जो रखते हैं दिल में पाप।
जो कपड़ों से महिलाओं को जज करते उन लोगो से सम्बंधित बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति👌
व्यंगात्मक शैली के साथ भारतीय परिधान की विशेषता भी बताने का प्रयास किया है
सुंदर रचना
🙏🙏
तंज कसने के साथ ही श्रृगार रस का प्रयोग तथा
बहुत कुछ कहने प्रयास
🙏
सुन्दर अभिव्यक्ति
🙏🙏
नजर किसी की ना पड़े हम बदन छुपाते रहते हैं
पर ढके बदन को ताके यह गंदा नजरिया ना बदला
🌹🌹बहुत सुंदर रचना🌹🌹
वाह, बहुत सुंदर
🙏
धन्यवाद
खूबसूरती परिधान में नहीं,
सोच में होती है।
गन्दी सोच रखने वालों को,
यह कौन समझाने जाएगा।…. बहुत ही खूबसूरती से परिधान से जज करते लोगों पर तंज कसा है। बहुत सुंदर 👏👏
🙏
कहीं संभाले पल्लू सरपट
चाल थी उसकी डगमग-डगमग।
पीठ छुपाती कहीं बेचारी
असुविधाजनक थी साड़ी भारी
बहुत सुंदर पंक्तियां
धन्यवाद प्रतिमा
धन्यवाद