दिल के करीब
खबर नहीं कौन है वो, मेरा लगता है क्या,
मगर इतना करीब दिल के, कैसे करूं मैं बयां..
…✍️गीता
खबर नहीं कौन है वो, मेरा लगता है क्या,
मगर इतना करीब दिल के, कैसे करूं मैं बयां..
…✍️गीता
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रहता है ❤️ के करीब ही
जब तक उसे न पता चले
बहुतों से जहां भरा पड़ा पता चलते ही प्यार का शोषन हुआ
🙏🙏…. जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि..
यथार्थ इतना ख़ूबसूरत नहीं होता, जितनी कल्पना होती है…. समीक्षा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
सुंदर
धन्यवाद भाई जी🙏
कोमल हृदय की सुंदर भावनाएं। कम शब्दों में वृहद भाव व्यक्त करती पंक्तियाँ, सैल्यूट योग्य हैं। जितना लिखती हैं, ठोस लिखती हैं, बहुत खूब
सुन्दर और प्रेरक समीक्षा के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर…
आपकी समीक्षाएं भविष्य में भी लेखन के लिए प्रेरित करती हैं।🙏🙏
अति सुंदर
समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आपका ऋषि जी 🙏
Very nice
Thanks sis
लाजबाब
Thank you sir🙏
इस बीच आपकी लेखनी ने बहुत सुन्दर छठा बिखेरी है वाह
आपकी इस टिप्पणी और प्रशंसा का हार्दिक धन्यवाद इन्दु जी 🙏