वो तेरे जीवन की परी (भाग 2)

प्रभु ने कुछ और भी बाते समझाई थीं
20-25 साल हुए थे,नन्हे फ़रिश्ते ने कुछ भुलाई थीं
किसी -किसी के याद रही,
पर कोई फरिश्ता भूल गया
प्रभु ने कुछ यूं समझाया था ………
फ़िर आंखों पर चश्मा चढ़ जायेगा
उसके बालों में , चांदी आ जाएगी
फ़िर भी तेरे “मां” कहने पर
वो पास तेरे आ जाएगी
लाठी का सहारा जब लेने लगे
तू उसकी लाठी बन जाना
काम तेरे कर ना पाएगी, पर
काम तेरे बहुत वो आएगी
इस दुनियां से जाते – जाते भी
तुझको दुआ दे जाएगी
इस दुनियां से जाते – जाते भी
तुझको दुआ दे जाएगी ……
वो तेरे जीवन की परी, वो तेरे जीवन की परी..
……✍️ गीता……

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Responses

  1. वाह क्या बात है गीता जी। आपने मां का यथार्थ स्वरूप प्रस्तुत करने में पूर्ण सफलता प्राप्त की है। वास्तव में मां होती ही ऐसी है। आपकी इस लेखन क्षमता को सादर अभिवादन। खूब लिखते हैं वाह

  2. आपकी टिप्पणी और प्रशंसा का हार्दिक आभार सतीश जी ।
    कवि को सुंदर और प्रेरक समीक्षा मिलती रहें तो लेखन में उत्साह वर्धक होता है । बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏

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