Categories: शेर-ओ-शायरी
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बहुत उम्दा
बहुत ख़ूब
बस अपनों के दिये दर्द ही
बयां करती हूँ..
वाह बहुत खूब।
दर्द ही तो कविता की जननी है। सुमित्रानन्दन पंत जी ने कहा था कि – वियोगी होगा पहला कवि, आह से निकला होगा गान।
वाह