Categories: शेर-ओ-शायरी
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घर और खँडहर ईटों और रिश्तों मैँ गुंध कर मकान पथरों का हो जाता घर ज्यों बालू , सीमेंट और पानी…
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वाह वाह, मझधार में फंसे दिल की खूबसूरत अनुभूति
शुक्रिया।
बहुत सुंदर