सन् 2020

सन् 2020 को विदा करते हैं,
दुःखो को खुद से जुदा करते हैं।
खुशियाँ का खुल के आगमन,
हर इक से चलो वफ़ा करते हैं।

सन् 2020……

वक्त कट गया मुश्किल था जो,
इसे भूल जाने की ख़ता करते हैं।
चलो बोते हैं ज़मी में नए पौधे,
फिर कोशिश कर बड़ा करते हैं।

सन् 2020……

साथ इक दो नहीं हजारों ले गया,
प्रार्थना सब मिल दोबारा करते हैं।
जाने अनजाने में हुई जो गलती,
भुला सब हम गले लगा करते हैं।।

*राही अंजाना*
नव वर्ष मङ्गलमय हो।💐🙏💐

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Responses

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
    दीर्घ काल बाद शब्द सुधा का पान कराया।
    राही जी की कविता ने दिल से वाह वाही कराया।।

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