एक अजन्मी की दास्तान
सुन्दर सपने देख रही थी,
अपनी माँ की कोख में।
मात-पिता का प्यार मिलेगा,
भाई का भी स्नेह मिलेगा
यह सब सुख से सोच रही थी,
सहसा समझ में आया कि
एक कैंची मुझको नोंच रही थी।
क्यों कैंची से कटवाया,
मुझको मेरी माँ की कोख में।
पूछ रही है एक अजन्मी,
एक सवाल समाज से।
मैं भी ईश्वर का तोहफा थी,
क्यों मेरे जीवन का अपमान किया।
तुम्हें एक वरदान मिला था,
क्यों ना उसका सम्मान किया।
अगर मैं जीवित रहती तो,
प्रेम से घर-आंगन महका देती।
तुम कभी दुखी होते तो माँ,पापा,
अपनी सरल सरस बातों से,
तुम्हारा जीवन चहका देती।
कुछ मैडल मैं भी ले आती,
चंद प्रमाण पत्र भी लाती मैं,
इस दुनिया में मात-पिता,
तुम्हारा नाम रौशन कर जाती मैं।
अफ़सोस मगर यह ना हो पाया,
क्यों मेरा आना ना भाया।
यह जान कभी ना पाऊंगी,
अलविदा! अभी जाती हूं मैं..
लेकिन किसी समझदार
और सौभाग्य वालों के माध्यम से,
मैं लौट कर वापिस आऊंगी।।
_____✍️गीता
यह सब सुख से सोच रही थी,
सहसा समझ में आया कि
एक कैंची मुझको नोंच रही थी।
क्यों कैंची से कटवाया,
🙏
धन्यवाद सर 🙏
बहुत ही मार्मिक चित्रण
धन्यवाद सुमन जी
संवेदनशील विषय पर मार्मिक वर्णन
धन्यवाद अनु जी
कन्या भ्रूण हत्या पर प्रहार करती बहुत सुंदर रचना। मानव जीवन मे व्याप्त बुराई को मार्मिक तरीके से उजागर किया गया है।
Nice
Thanks