भूले- बिसरे गीत
घर आया है रात का पंछी
करने लाख सवाल
होठों पर अनुपम हिंदी
हाथों में है गुलाल।
रंग डालेगा शायद मुझको
मनसा उसकी लगती है
गीली-गीली उसकी आंखें
थोड़ा मुझको लगती है।
बैठ गया है चादर पर वह
दोनों पैर पसारे
गाने लगा है मीठी धुन में
भूले-बिसरे गीत हमारे।
” मैंने तो था चाहा जिनको वो ना हुए हमारे
हाय तौबा! वो ना हो हमारे”………..।।
होठों पर है अनुपम हिंदी
sorry spelling mistake
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बहुत सुंदर
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घर आया है रात का पंछी
करने लाख सवाल
होठों पर हैअनुपम हिंदी
हाथों में है गुलाल।
____वाह बहुत खूब, होली की धूम मची है कवि के हृदय में। लाजवाब अभिव्यक्ति
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ब
बहुत खूब
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