हिंदी….

कश्मीर की घाटियों से ब्रम्पुत्र की नदियों में बहती है हिंदी महाराष्ट्र के रंग और राजस्थानी मिट्टी की खुश्बू में है हिंदी भाषाओं की शान…

तुम

सुबह का पहला ख़्वाब हो तुम जैसे कोई मेहकता गुलाब हो तुम भरी दोपहरी का यौवन, और शाम का ढलता शबाब हो तुम कभी मेहक…

तुम

तुम जीत हो संगीत हो मेरा मीत हो मेरी ही प्रीत हो सदियों से किया जिससे इकरार तुम वही महोब्बत की रीत हो दिन की…

बाजार

जिस्म के बाजारों में इंसानियत बिका करती है मौजकी के आड़ में हैवानियत की मेहफ़िले सजा करती है दाम यहाँ शरीर का नहीं स्वाभिमान का…

जुल्फ़े

इन खुली जुल्फों में न जाने कितने राज छुपे होते है कभी चाँद कभी रातें तो कभी तारे फूल बनके सजे होते है वो लट…

जुल्फ़े

खुली जुल्फों में न जाने कितने राज छुपे होते है कभी चाँद कभी रातें तो कभी तारे फूल बनके सजे होते है वो लट आँखों…

प्यार

हम उनसे प्यार और वो बेक़रार करते रहे कहना था कुछ और, और ही कुछ कहते रहे वो दौर-ए-जवानी मुझे सारा मेहखना दे रही थी…

ख्याल

फूलों का रंग चुरा के उसने तुझे सजा दिया पानी को आग लगानेवाला अंगार बना दिया अपनी निगाहों से हवा का रुख जो मोड़ दे…

भिखारी कौन है…

यह टूटे हुए घरों की कहानी है फुटपात पर बीती जिसकी जवानी है भीख मे बस वह इंसानियत मांगते रहते न जाने क्यों,आँखों में उनके…

बुझते चराग

बुझते चराग है हम, हवा न दो सारा शहर जला देंगे खुद को शेर समझने वाले, कभी लड़कर देखो तुम्हे गीदड़ बना देंगे है शक्ति…

सन्नाटा

रात के सन्नाटा मुझसे कुछ कह रहा था आज वो आंसू बनकर मेरी आँखों से बह रहा था सौ तो गए थे मेरे सब चाहने…

भूल गयी

जख़्म तो बहुत दिए तुमने, मगर मलहम लगाना भूल गयी याद तो रोज आती थी आपको मेरी, लेकिन आँसु बहाना भूल गयी जब दुनिया में…

प्यार

आँखों की खाई को तुमने बेहता समंदर बना दिया इस प्यार को ठुकराके, मुझे आवारा भवंडर बना दिया

याद

आँखों के झरनो में तेरी याद बाहा करती है पलके मूँद बस ये फ़रियाद कहा करती है एक दिन बस मेरी जिंदगी से मिला दे…

आप

ये झुकी हई आंखों से मानो सुनहरी शाम सी लगती हो ये हसीन चेहरा एक खिलता गुलाब सी लगती हो किसी की जान न ले…

वो कौन है……

ये प्यारी मुस्कान आपकी पहचान बन जाए खिलता चेहरा लोगो के लिए ये शराब बन जाए ये होठ ये पलकें और ये गाल मानो मुझसे…

Marta kishan

मरता किसान जमीं को खोदकर अपना आसमान ढूंढते है पसीने की हर एक बूँद से अनाज उगाते है सबके मोहताज होने के बाद भी यह…

मरता किसान

जमीं को खोदकर अपना आसमान ढूंढते है पसीने की हर एक बूँद से अनाज उगाते है सबके मोहताज होने के बाद भी यह किसान हम…

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