by Savan

खुद से नाराज़ हूँ मैं

June 22, 2023 in हिन्दी-उर्दू कविता

तोल-मोल, लेन-देन आंसुओं की भी कीमत समझाएं
रिश्ते भी कैसे-कैसे रूप दिखाएं। रिश्तो को निभाते-निभाते खुद को ढूंढ रही हूँ मैं
हाँ! खुद से नाराज हूँ मै

by Savan

छोड़ आए हैं

June 15, 2023 in हिन्दी-उर्दू कविता

छोड़ आए हैं वो नन्ना सा गांव साथियों
सर्दी की धूप पीपल की छांव साथियों

याद आता है मासूम सा वो बचपना मेरा
जिसे छोड़ आया था हसके आज खुद ही रो पड़ा

चार दीवारे मिल गई और छत भी मिल गया
अब तक नहीं मिला वो अपना घर नहीं मिला

बसी थी ममता जिसमें और माटी की गंध साथियों
सुकून देती हर फिज़ा वो माहौल साथियों

सुबह की ठंडी ओस और घटा घनघोर याद है
कुछ आशा और निराशा का मेल याद है

सजे थे सपने अनगिनत आकांक्षाएं बड़ी-बड़ी
शहर की घुटन में जाने कब टूट कर बिखर गई

लिए फिरता हूँ अब जीने की ऊब साथियों
जीने के लिए भूला हूं वो अपना गांव साथियों ।।

by Savan

छोड़ आए हैं

June 15, 2023 in हिन्दी-उर्दू कविता

छोड़ आए हैं वो नन्ना सा गांव साथियों सर्दी की धूप पीपल की छांव साथियों

याद आता है मासूम सा वो बचपना मेरा जिसे छोड़ आया था हसके आज खुद ही रो पड़ा

चार दीवारे मिल गई और छत भी मिल गया अब तक नहीं मिला वो अपना घर नहीं मिला

बसी थी ममता जिसमें और माटी की गंध साथियों सुकून देती हर फिज़ा वो माहौल साथियों

सुबह की ठंडी ओस और घटा घनघोर याद है कुछ आशा और निराशा का मेल याद है

सजे थे सपने अनगिनत आकांक्षाएं बड़ी-बड़ी
शहर की घुटन में जाने कब टूट कर बिखर गई

लिए फिरता हूँ अब जीने की ऊब साथियों
जीने के लिए भूला हूँ वो अपना गांव साथियों ।।

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