जिंदगी का वो फसाँना

September 4, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

✋✋✋✋✋✋माँ का आशीर्वाद✋✋✋✋✋✋✋
जिंदगी का वो फसाँना
आज भी है याद मुझको
माँ की वो लोरी का गाना
आज भी है याद मुझको
जिंदगी के काफिले मे
ताजशाही कम नही है
माँ तुम्हारी ही दुआ है
जिंदगी मे गम नही है
माना मैने इस जहाँ की
दुआ मुझपर कम नही है
माँ तुम्हारी दुआ सा अब
इस दुआ मे दम नही है
तेरी दुआ से है हजारों
साथ मंजिल काफिले मे
माँ तुम्हारे जैसे कोई
अब यहाँ हमदम नही है
तेरा वो माथा चूमना
और दर्द का काफूर होना
इन हकीमों की दवाओं मे
कही वो दम नही है
सैकड़ों नुस्खे हकीमों की
दुकाने है शहर मे
माँ तुम्हारी गोद सा
अब दर्द का मरहम नही है। ( शेष समय पर )
अखिलेन्द्र तिवारी कवि
श्री रघुकुल विद्यापीठ सिविल लाइन गोण्डा
उत्तर प्रदेश

तेरे पैरो की धूल जबसे लगाई है माथे पर

August 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

✋✋✋✋✋माँ का आशीर्वाद✋✋✋✋✋
तेरे पैरो की धूल जबसे लगाई है माथे पर
जहाँ की हर चमक अब सामने जुगनूँ सी लगती है

मेरी औकात क्या है कुछ नही है इस जमाने मे
वो तो माँ की दुआ है , शाह बनकर घूमता हूँ मै

जहाँ मे कुछ नही ऐसा जो कि झकझोर दे मुझको
वो बस इक माँ के आसूँ है जो दिल को तोड़ देती है
हजारों मुश्किले तूफां गिराना चाहते मुझको
वो तो माँ की दुआयें है , जो सबको मोड़ देती है

दौलते लाख दुनियाँ की खड़ी कर दो जहाँ मे तुम
जहाँ है कर्ज ममता का , वहाँ सब राख जैसी है
Akhilendra tiwari S.R.V.P. GONDA

बादल

July 16, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

बादल ,बादल बन आया था
बादल , बादल बन छाया था
चहुँ ओर बरसकर बादल ने
भारी कोहराम मचाया था
बादल बादल बन लहर गया
अरि मुंण्डो पर वह घहर गया
चहुँ ओर मचा था चीत्कार
अरि की सेना मे थी पुकार
भागो , भागो अब जान बचा
बादल आ पहुँचा समर द्वार
बादल की टाँपों से प्रतिपल
बादल की तड़क तड़कती थी
गज, बाजि, सिपाही मुण्डों पर
बिजली की तरह कड़कती थी
अरि मुंण्डो पर गज सुंण्डो पर
कब कहा गया कुछ पता नही
चपला की तरह दिखा पल भर
क्षण मे अदृश्य हो चला मही
खन खन करती तलवारों मे
भालों और ढाल कटारों मे
वह काल रूप , वह महाकाल
करता था समर , हजारों मे
निज टापों से वह नाहर
करता था रण मे अगवानी
काली का खप्पर भरता था
वह क्रांतिदूत , वह सेनानी

तेरी यादों के सहारे ही जी रहा हूं मैं

May 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हे भारत की वसुधा तुझको

May 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मित्रो , ईश्वर के आशीर्वाद से , आज मेरी रचना , एक बार फिर राष्ट्रीय अखबार “दैनिक वर्तमान ” मे प्रकशित हुई है
जिससे मेरे साहित्यिक क्षेत्र को बल , संबल प्राप्त हुआ है।

आपके आशीर्वाद का आकांक्षी आपका:- अखिलेन्द्र तिवारी (कवि)
श्री रघुकुल विद्यापीठ सिविल लाइन गोण्डा
(तुलसी जन्मभूमि राजापुर गोण्डा )
उत्तर प्रदेश

अंधकार की तिमिर ज्योति में

May 11, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मित्रो , ईश्वर के आशीर्वाद से , आज मेरी रचना , एक बार फिर राष्ट्रीय अखबार “दैनिक वर्तमान ” मे प्रकशित हुई है
जिससे मेरे साहित्यिक क्षेत्र को बल , संबल प्राप्त हुआ है।

आपके आशीर्वाद का आकांक्षी आपका:- अखिलेन्द्र तिवारी (कवि)
श्री रघुकुल विद्यापीठ सिविल लाइन गोण्डा
(तुलसी जन्मभूमि राजापुर गोण्डा )
उत्तर प्रदेश

नीरसता जीवन में

April 29, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

Hum Akhand Deepak Ki Jwala

April 13, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

भैय्या माँ के आशीर्वाद से आज मेरी रचना राष्ट्रीय समाचार पत्र “दैनिक वर्तमान ” मे प्रकाशित हुई है । जिससे मेरे साहित्यिक क्षेत्र को बल संबल प्राप्त हुआ है ।

आपके आशीर्वाद का आकांक्षी
आपका-: अखिलेन्द्र तिवारी ( कवि )
श्री रघुकुल विद्यापीठ सिविल लाइन गोण्डा
(तुलसी जन्मभूमि राजापुर गोण्डा)

प्रचंड ज्वार लाओ

April 13, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्रचंड ज्वार लाओ
नव चेतना जगाओ
इतिहास नव रचो तुम
नित नव कुसुम खिलाओ
तुम हो अखंड दीपक
बुझने की बात छोड़ो
इतिहास के रचयिता
इतिहास फिर से मोड़ो

अभय गान अपने वाणी का मै स्वर आज सुनाता हूँ

April 6, 2018 in गीत

अभय गान अपने वाणी का मै स्वर आज सुनाता हूँ
ले समसीर लेखनी की मै रण नवगीत सुनाता हूँ
माँ वीणा पाणी के चरणो मे मै शीश झुकाता हूँ
माँ रणचंडी के झंकृत की मै झनकार सुनाता हूँ

मै गायक हू नही किसी प्रेमी के अमर कहानी
नही किसी लैला , मंजनू के अधरो भरी जवानी का
न ही कवि हू मै , रांझा के अमर प्रेम कुर्बानी का
मै तो चारण हूँ झाँसी की रानी की कुर्बानी का

मै यथार्थ कवि हूँ, भारत के अमर वीर नवदूतो का
मै कवि हूँ राजस्थानी उस राणा के करतूतो का
मै तो कवि हूँ बीर शिवा सम जंगी अमर सपूतो का
मै कवि हूँ तलवारो का, कुर्बानी के राजपूतो का

कर्जदार हूँ , गुरू गोबिंद की बलिदानी परिपाटी का
मेरा गीत चरण रज है बस , भारत माँ की माटी का
मेरा गीत चरण रज है बस, भारत माँ की माटी का

टूटे कंगन बोल रहे मेरा न्याय करेगा कौन

March 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मित्रो! अभी हाल ही मे शहीद हुए हमारे देश के चार सैनिको
को ,अपनी कविता के माध्यम से श्रद्धासुमन अर्पित करते हुये, मैने आप तक ए कविता पहुचाने की कोशिश की है
अगर आपको ये कविता पसंद आये तो ये बात देश के अन्य लोगो तक पहुचाने की कोशिश करे।
जय हिंद जय भारत

टूटे कंगन बोल रहे मेरा न्याय करेगा कौन ।
मांगो के सिंदूर पूछते यह अन्याय भरेगा कौन ।।

सीमा पर से उस प्रहरी की आवाजे है चीख रही।
मेरे बलिदानो की बोलो कीमत भला भरेगा कौन।।

मै भारत का कलमकार हू
अपनी भाषा बोल रहा हूँ ।
प्रजातंत्र के सरदारो से
नया प्रश्न अब खोल रहा हूँ।।

कब तक मौन रखोगे अपनी
चमक ढाल तलवारो की ।
कब और दंश सेना के ऊपर लगते जायेंगे
कब तक कायर दुश्मन के हम रोज तमाचे खाएंगे।।

कब तक मांग भरी, बिधवाए
सिंदूरो को पोछेंगी।
कब तक माँ ये बेटो के हित
ह्रदयस्थल को नोचेंगी ।।

 

कब तक बहना की राखी का
अग्निध्वंश करवायेंगे।
कुछ तो बोलो कब तक
सैनिक की लाशे उठवाएंगे।।

चार बीर बलिदानों का
यह घाव कौन हर सकता है।
सिंदूरो से सजी मांग
अब भला कौन भर सकता है।।

कौन जोड़ पायेगा वह दिल
माँ का जो शीशे सा टूट गया।
कीमत कौन चुकायेगा उन हाथों का
जो राखी को लिए खड़ी बहना से भी छूट गया।।

वह तो है नादान पड़ोसी
न जाने किस पर ऐठा है।
दो बार लात खा करके भी
फिर आघातों को बैठा है।।

दो ,दो बार माफ करने का
यही नतीजा आया है।
गाँधीवादी अरमानो ने
फिर से थप्पड़ खाया है।।

सत्य अहिंसा को अपनाकर
मतलब इसका भूल गये।
भूल गये कुर्बानी उनकी
फाँसी पर जो झूल गए।।

जब जब अपना इतिहास भूल
गाँधीवादी अपनाओगे।
तब तब धुश्मन के हाँथो से
थप्पड़ खाते जाओगे।।

सत्य अहिंसा क्या होती है
मर्यादा को भूल गये।
गाँधीवादी राह पकड़ ली
प्रभु राम को भूल गये।।

भूल गये तुम सत्य अहिंसा
भारत की परिपाटी है।
लेकिन रण मे पीठ दिखाना
कायरता कहलाती है।।

क्षमा सत्य उसके खातिर
जो मानवता का रक्षक हो।
उसके खातिर वध निश्चित है
जो मानवता का भक्षक हो।।

अधिक क्षमा करना भी निज मे
कायरता कहलाती है।
अधिक अहिंसा का पालन
निज प्रत्याघात कराती है।।

स्वाभिमान के खातिर अहि मे
बिष का भान जरूरी है।
दुष्ट दलन के खातिर फिर अब
दंण्ड विधान जरूरी है।।

याद करो गीता की वाणी
जो केशव ने गायी थी।
याद करो प्रभु राम गर्जना
जो सागर को समझाई थी।।

हे भारत के पार्थ आज तुम
महाभारत को भूले हो।
इसीलिये बलिदान हुए सर
और शर्म से झूले हो।।

समय नही है सीमा पे अब
श्वेत कपोत उड़ाने का ।
न ही रंग गुलाबी लेकर
फागुन गीत सुनाने का।।

भारत माँ के अमर पुत्र
गांण्डीव उठा टंकार करो।
शांति यज्ञ की पूजा छोड़ो
दुश्मन पर अब वार करो।।

छप्पन इंची सीना वाले
उठो नया हुंकार भरो।
सीमाओ पर तोपें दागो
आर करो या पार करो।।

जय हिंद जय भारत
आपका ——–अखिलेन्द्र तिवरी (कवि)
sri raghukul vidya peeth civil line gonda
uttar pradesh
तुलसी जन्मभूमि राजापुर गोण्डा (उत्तर प्रदेश)

✋✋✋✋माँ का आशीर्वाद✋✋✋✋✋✋✋

New Report

Close