मस्ज़िद गए कभी कभी उस रब के घर गए

May 7, 2016 in ग़ज़ल

मस्ज़िद गए कभी कभी उस रब के घर गए
तब भी नही मिला कोई रस्ता तो मर गए
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1:-बदनाम तो बहुत हुए पर खुश भी हम रहे
हम वो फकीर है जो इबादत ही कर गए
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2:-हम तो कुछ इस तरह के इंसान बन गए
तुफान से लड़े तो प्यार में बिखर गए
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3:-नफरत हमें हर एक मुहब्बत से हो गई
मंजिल नही मिली तो सफर में ठहर गए
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4:-मै इस तरह मरा हूँ कि ड़ुबाने तक जिआ
पर जब मरा रकीब़ मुझे देखकर गए
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5:-जब माँगने गए दरो दहलीज़ पर गए
फिक्र ए मआश के लिए हम दर ब दर गए

नादान दिल

May 3, 2016 in ग़ज़ल

जिस भी किसी पर गई नजरे उसी का हो गया
नादान सा ये दिल है मेरा हर किसी का हो गया
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1:- किस शर्त पर मै अब तुझे दिल में बसा के प्यार दूँ
हर शख्स की नीयत यही के दुश्मनी का हो गया
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2:- हमने खुदा का तरह पूजा था उसे जब इश्क में
वो तो खुदा था और आखिर वो सभी का हो गया
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3:- वो हर कदम पर भी मुझे ठुकरा दिया करती रही
वो मेरी तो हो ना सकी मै शायरी का हो गया
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4:- बाजार में वो शख्स आखिर यूँ ही तडप कर मर गया
ये दौर अब वो है कि साहिब बुजदिली का हो गया
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5:- थक सा गया हूँ जिन्दगी तुझको समेटे जा रहा
ये दिल तो कब का हारकर अब खुदकुशी का हो गया
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6:- बस इस कदर हारा हूँ मै जिन्दगी से येँ अमित
ये तो मेरी ना हो सकी मै जिन्दगी का हो गया

?:-अमित तँवर

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