एक अनकहे किस्से सा हूँ

October 7, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक सवाल सा अक्स’

हौले से कुछ बदला है

एक क़तरा अभी छलका है

बड़ी मुद्दत से पलकों पर था

वो आँसू जो ढलका है

एक अनकहे किस्से सा हूँ

अचानक उठी हिचकी सा हूँ

आईना मेरे घर का हैरत में है

मैं बदलते एक चेहरे सा हूँ

कुछ कहो या छोड़ो रहने ही दो

इस रात को ये दर्द सहने भी दो

अब आए हो तो कुछ लफ्ज़ चुनो

जो मन में है उसे ज़ाहिर होने भी दो

बेफ़िक्र है एक सवाल भी है

मेरा अक्स है थोड़ा बदहाल भी है

ज़िंदगी तो ख़ैर कट ही रही है

पर तेरे न होने का मलाल भी है

मेरी रूह में रवानी तो है

वक़्त गुज़रता नहीं फिर भी फ़ानी तो है

पन्ना दर पन्ना बेमानी सही

फिर भी मेरी एक कहानी तो है

मचलता हूँ सिसकता हूँ

अपने ही पहलु में ख़ुद रोता हूँ

कुछ-एक रोज़ का फ़साना बाक़ी है वरना

मैं हर लम्हा थोड़ा-थोड़ा मरता हूँ

 

(source:unknown)

कुछ अनकहे एहसास : )

October 2, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

aaj Shaam yun hi Tanha Baith kar  

Tere Baare mein Socha to hai  

 
 

bheegti barishon ko aanshu-wo se bheega-kar 

un bheege paloon ko pukara to hai 

 
 

Bahti hawaon, Sagar ki Lahron pe 

Tere Naam Ek Paigam ,bheja to hai 

 
 

Yun hi Besakhta Teri baaton pe 

chehre ne ek Muskaan Bikhera to hai 

 
 

Kya hai tu, kaun hai tu Kaisi hai tu? 

Hazar Sawalon k beech  

Tere Andekhe Wajood se ek dhaga babdha to hai !!

Pass ka na sahi dur ka Sahi 

Par ek Rishta bana to hai !!

Zindagi ki saikdo na puri hone wali tamannaon k beech 

Ek Tamanna ki Tamanna bani to hai 

 
 

aaj sham bheegte hue phir se tujhe jiya to hai…. 🙂

मेरे चेहरे की दो निशानियाँ …… 🙂 🙁

October 2, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

थोड़े हम अमीर थे

एक दिल के

थोड़े हम गरीब थे

एक दिल के

थोड़ा मुस्कुराते थे

टुकड़ों में

थोड़ा गुनगुना लेते थे

मुखड़ों में

कभी सौदागर थे

हंसी के

कभी रो लेते थे

पीछे मुड़ के

कुछ बदनाम हैं

दर्द मेरे

और कुछ पाक हैं

अत्फ़ मेरे

…बस यही है ……

मेरे चेहरे की दो निशानियाँ

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