#तुम_औरत_होना#

March 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम औरत होना
पर औरत जैसा कभी नहीं होना
तुम्हारे मन में ढ़ेरों सपने होंगे
पर कभी अपने सपनों के लिए नहीं चिल्लाना
तुम तो एक पूरी पृथ्वी हो

ये आसमां झुकेगा पकड़ेगा तुम्हारे सपनों की अंगुली
जैसे पकड़ी होगी तुम्हारे पापा या भैया ने कभी
ये चाँद सितारे तुम्हारे इर्द गिर्द घूमा करेंगे
बतियाया करेंगे जैसे हों तुम्हारी सखी सहेलियाँ
इन फूलों के लिए तुम हमेशा एक नन्ही गुड़िया रहोगी
तुम्हे हंसायेंगे गुदगुदाएंगे तुम कभी नाराज़ हो जाओगी
ये तुम्हारे खोएे नुपुर फिर से खरीद लाएंगे
ये हवायें दूर दूर से शुभकामनाओं के तिनके लाकर
तुम्हारे सपनों का घर सजाएंगी

तुम बस पहाड़ो से बतियाया करना
वृक्षों का हाथ पकड़ ऊपर उठना सीखना
तुम अंधेरों में कैद चिड़ियों को आज़ाद कराना
तुम इन सोई आँखों को बचपन के गीत सुनाना
ये जागेंगीं ‘ इनके जागने से पहले इन्हे
सुबह का एक पूरा सूरज देना
तुम्हारी छुअन से खेत पकेगें
बीज उद्यत होंगे वृक्ष होने को
यही तुम्हारी आस्था होगी यही तुम्हारी साधना होगी
तुम्ही से आदि और तुम्ही से अन्त होगा
तुम औरत होना
पर औरत जैसा कभी नहीं होना……
#अंजू_जिंदल