ओ रे कृष्णा

August 24, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ओ रे कृष्णा
काहे सताये मोहे
पनघट पर पनिया भरत में
काहे छेड़े मोहे
मटकी फ़ोड़े
राहे रोके
निस दिन बरबस ही
आके टोके
जरा भी लाज शरम
न आये तोहे
ओ रे कृष्णा
काहे सताये मोहे

व्याकुल जी जान से

August 7, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

पयोद धर बाण जल का
चलाये तड़ित की कमान से
धरती आहत होने को आकुल
प्रेम में मरने को व्याकुल जी जान से|

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