क्यों है आज आत्माए अतृप्त इतनी

September 11, 2016 in Other

क्यों है आज आत्माए अतृप्त इतनी
भूल गई सारी उत्कृष्टताये अपनी
बस स्वअर्जन की चाहनाये इतनी
क्यों विघटन की कामनाये इतनी
हम ही हम की इच्छाये इतनी
दुसरो के लिए वर्जनाएं इतनी
ऐसे कैसे मानवता पनपेगी
है कोई यहाँ पर इतना जतनी
जो बता सके कैसे अर्जन करे
हर इंसा यहाँ मानवता अपनी ।
सरे भेद भाव भूल कर इंसा
अर्जन करे इंसानियत अपनी ।

– डॉ आशा सिंह