आँसू

June 30, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल रो रहा है।
पर आँखों में आँसू नही
गम कितना ज्यादा है।
पर आँखों में आँसू नहीं
मुद्दतो से उनकी याद सता रही है।
पर आँखों में आँसू नहीं
मै कई दिनों से रोना चाहता हूँ।
पर आँखों में आँसू नहीं।
कवि:-Resav

बर्बाद

May 12, 2016 in Other

मैने दिल को कितनी बार

समझाया, उसे याद न कर

वो अब किसी और की है।

उसके लिए खुद को बर्बाद मत कर।

माना मुश्किल है।उसे भुलाना

पर पाना भी उसे अब मुमकिन नहीं।

फिर क्यों नहीं तू

मानता मेरी बात ।

उसे याद कर मत धड़क

मै वाकई प्यार में बेबस हूँ।

मुझे और बेबस मत कर।

मैने दिल को कितनी बार

समझाया, अब उसे याद न कर

वो अब किसी और की है।

उसके लिए खुद को बर्बाद मत कर।

कवि:अविनाश कुमार

 

धीरे -धीरे

May 6, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

धीरे-धीरे माँ मै बदलने

लगा हूँ।

इस भीड़ भरी दुनिया में

अपना -पराया पहचाने

लगा हूँ ।

लोगों के स्वार्थ भरे रिश्ते

से खुद को अलग सहेजने

लगा हूँ।

मै अब अपने जीवन का

लक्ष्य समझने लगा हूँ।

लोगो के दिखावटी प्यार

का अब मतलब समझने

लगा हूँ।

धीरे-धीरे माँ मै बदलने

लगा हूँ।

नींद पड़ी इस जमीन के

लोगों के ज़मीर भी

अब सोने लगे है।

धीरे -धीरे ………………

कवि:- अविनाश कुमार

दिल

May 6, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

न समझे थे।हम

दिल का खेल

जुबा पे कुछ और दिल में मैल

अब समझ आया ये सब है भोरेसे

का खेल।

उनकी नज़रो के हम कायल हुए थे।

तब ज़माने से हम घायल हुए थे।

बहुत देर बाद समझ आया।

हम तो बस उनके दिल बहलाने

के काम आए थे।

प्यार तो बस धोखा है

न समझे थे।हम

दिल का खेल

कवि:-अविनाश कुमार

धोखा

May 6, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

मुझे आज भी तुम्हारा

धोखा याद है।

प्यार से मेरा विश्वाश जीत

उस विश्वास को तोड़ना याद है।

तुम्हारे हर वादे जो- जो याद

आते है।

मेरे आँखों में आँसू भर जाते है।

शायद इसके बाद कोई किसी पे

ऐतवार नहीं करेगा।

मेरी तरह अपना दिल कोई

और चकनाचूर नहीं करेगा।

खुशिया और गम आते जाते है।

मुझको इसकी फ़िक्र नहीं

तुमने जो धोखा दिया है

उस दर्द का भी कोई इंतज़ाम

कर दिया होता।

जाते- जाते मेरे दिल को भी

अपने साथ कर लिया होता।

मुझे आज भी तुम्हारा

धोखा याद है।

कवि-अविनाश कुमार

ज़िन्दगी

May 6, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

बहुत खूब मैंने देखा जमाना

एक शाम और एक सुबह सुहाना

उजली सी ज़िन्दगी पे पाये

कितने रंग मैने ।

एक साथ होने का एक पल सुहाना

बहुत खूब मैने देखा जमाना।

मिर्च जैसी लगती है कभी तेरी बाते

तो कभी तेरी एक याद

हँसा देती है।

मैने देखा एक पल सुहाना।

खूब देखा तुमको बारिशो में

लोगो को भिगाना।

देखा है,मैने तुमको चैन से

बैचैन होते हुए।

अपनी आदतों से दुसरो को

परेशान करते हुए।

बहुत खूब मैने देखा जमाना।

कवि:-अविनाश कुमार

Email id:-er.avinashkumar7@gmail.com


 

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