Us din

December 7, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

उस दिन ,
जब तुम कार से उतरी थीं |
स्वर्ग से आयीं अप्सरा,
सी लग रहीं थीं |
काव्या दी, दीया
तुम्हारा हाथ पकड़ तुमसे मिल रही थीं |
मैं भी था सहमा-सहमा सा,
अपनी अनिश्चित बारी के,
इंतज़ार में |
‘आपका नाम’ तुमने पूछा था |
मुद्दतों बाद मुझसे ,
मेरा नाम किसी ने पूछा था |
“मुदित”
चौंक गयीं थीं तुम ये नाम सुनकर |
याद आयी होगीं तुम्हें,
शायद वो गरमी की छुट्टियाँ |
तुमने दोहरायी होगीं,
मन में वो बातें |
तुमने वर्षों बाद दोहराया होगा मेरा नाम |
उस दिन तुम मुझे,
उतनी ही प्यारी लगी थीं
जितनी पपीहे को बारिश |
उस दिन से
तुम्हारी तस्वीर छप गई थी,
दिल में मेरे |
बिल्कुल स्पष्ट तो नहीं,
पर हाँ धुँधली अवश्य बन गई थी |
उस दिन मुझे,
तुममें दुनिया दिखाई दी थी |