सुरज

July 15, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हर शाम के ढलते सूरज से,
दुआ एक ही मांगी है।

सवेरा हो अच्छा और खुशियों की हो बौछार।
दिन हो शुभ और शाम हो कमाल।

दोस्तों के साथ पल जो बिताए,
वह याद मरते दम तक रह जाएं।
और कर्म करें हम ऐसे, जो यादगार हमें बना जाए।

सुबह की पहली किरण से,
ख्वाहिश यही की है की हर ढलते सूरज के साथ,
हर गम, हर दुख मिट जाए।।

सपने

July 4, 2018 in शेर-ओ-शायरी

सपने पूरे करने की चाहत होनी चाहिए,
खुद हिम्मत करो तो हर रात तैयार है।
अरे कोशिश करके तो देखो,
कदम बढ़ा कर तो देखो,
सफलता की सीढ़ियां तो कब से तैयार हैं।।

मोहब्बत

July 4, 2018 in शेर-ओ-शायरी

चाहा था उनको दिल से,
हर याद अपनी लिख डाली थी।
प्यार के इज़हार का तो मौका ही न मिला,
बची-खुची दोस्ती भी उन्होंने तोड़ डाली थी।

दिल

July 4, 2018 in शेर-ओ-शायरी

कई बार थोडा सा मज़ाक कर लेता हूं,
कई बार लोगों को थोड़ा सा परेशान कर देता हूं।

इस मस्ती के पीछे का प्यार वह समझ नहीं पाते हैं
पता नहीं क्यों फिर भी लोग रूठ जाते हैं!!

और यह पागल दिल,
फिर उन्हें मनाने निकल पड़ता है।

धोखा

July 4, 2018 in शेर-ओ-शायरी

दर्द तो दुनिया ने बहुत दिए,
पर दुनिया वाले भी अपने थे,
इसीलिए खुशी-खुशी सह लिए।

अपने यारों से उम्मीदें बहुत थी,
पर वह भी मुझे‌ समझ न पाए।

दुखी तो बहुत था दिल पर जताने का मन न किया,
अब दिल को क्या पता था जान जिनपर वारी,
दर्द भी उन्होंने ही दिया।।

पिता

July 4, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्यार वह जताते नहीं
पर हर इच्छा हमारी पूरी वो करते हैं,
खुद भले ही दुखी हों
पर हमें खुश रखने की पूरी कोशिश करते हैं।
भगवान तो केवल प्रार्थनाएं सुनते हैं,‌
लेकिन पूरी उसे हमारे पिता करते हैं।।

मां

July 4, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जन्म दिया मां तूने ही इस काबिल मुझे बनाया है,
हर फर्ज अपना‌ मेरे प्रति निभाया है।
दिल से दिल का यह अनमोल रिश्ता,
वाह खुदा क्या बनाया है।।

कुछ सोच रहा हूं मैं

July 3, 2018 in शेर-ओ-शायरी

कुछ सोच रहा हूं मैं,
कुछ खोज रहा हूं मैं।

जिंदगी के इन घने जंगलों में,
खुशी की कुछं टहनियां ढूंढ रहा हूं मैं।

वह हसीन वादियां कहीं खो सी गई हैं,
नदियों के किनारों का वह शोर थोड़ा थम सा गया है।
तेज हवाओं में उन पत्तियों का नाचना गाना
कहीं सो सा गया है,
बस उन्हीं के खुशी से झूमने का इंतजार कर रहा हूं मैं।।

जिंदगी की लंबी दौड़ में,
थोड़ा सा पीछे रह गया हूं।
संभलते संभलते कहीं खो सा गया हूं,
बस उसी खोए हुए खुद को कहीं ढूंढ रहा हूं।।

कुछ सोच रहा हूं मैं,
कुछ खोज रहा हूं मैं।।

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