वक्त

March 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज मैंने वक़्त को महफील में बुलाया….
बहस तब छिड़ी जब वक़्त ही वक़्त पर ना आया…
सबने आरोप लगाये लोग आगबबूला हुए…
और वक़्त बेचारा नज़रे फिराए बैठा रहा…
गरीब ने कहा मेरा वक़्त बुरा था सबने परेशान किया तुमने साथ क्यों नहीं दिया…
बाप बोला मेरा बेटी ICU में थी उसे थोड़ा वक़्त और क्यों ना दिया…
जवां बेटा बोला मैं अफसर बनने ही वाला था तुमने मेरी माँ को थोड़ा वक़्त और क्यों ना दिया…
सब वक़्त से सवाल जवाब कर कर रहे थे…
की ए वक़्त तू साथ क्यों नहीं देता कहाँ रहता है…?
वक़्त सबकुछ सुनकर धीमे से बोला आप सबकी बातें सही है यारों पर क्या करूँ….
“”वक़्त ही नहीं मिलता…”” ।।।

✍- दिग्विजय❤