Kedar Sharma
जलता रहेगा रावण यूं ही आखिर कब तक?
October 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
देखते है सभी जलते रावण को
आग की विषम लपटो कों
जिनमें फ़टाकों के चिन्गारियों के बीच
बेचारा रावण जल रहा है
खाक हो जाता है हर साल
फिर न जाने कहां से
जन्म जाता है हर साल
आग भी रावण को खाक न कर पाई है अब तक
जलता रहेगा रावण यूं ही आखिर कब तक?