Krishan
पथ में न रुक जाना
November 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
पवन सा प्रवल मन
सागर सा झाग तन
छलके अनुपम कांति
सूर्य दीप बन जाना
*पथ में न रुक जाना*
—-कृते-के.के.पाण्डेय
*सीख*
October 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
सीख….
एक कीट पतंगा दिख रहा था
अद्भुत मैं, उसको लख रहा था
वह धीरे से उड़ चला ,
और प्रकाशित हो गया ,
पाठ एक पढा़ रहा था
हाँ,मुझको बता रहा था
गति ही जीवन है..
हां गति ही जीवन है..।
भावना-सद् भावना
October 28, 2020 in मुक्तक
भावना सद्भावना
( 12-मात्रा )
स्वच्छंद वितान में
मानवीय विधान में
शब्द की झंकार में
गीत मधुर सुहावना
भावना सद्भावना ..।
तन में दिव्य शक्ति हो
दिल में प्रेम भक्ति हो
सदा मित्र के भाव हो
उसे सदा सराहना
भावना सद्भावना .।
कालिमा से दूर हों
सत्कर्म में चूर हो
भारत का विकास हो
है यही बस कामना
भावना सद्भावना..।
नहीं शोषित वर्ग हो
मजहब पर न द्वंद हो
शांति दूत सदा रहे
यही जीवन साधना ..
भावना सद्भावना..।
हँसना मेरी मजबूरी
October 27, 2020 in मुक्तक
18-हँसना मेरी मजबूरी
( मुक्त छंद 16 मात्रा )
फूलों में आज सुगंध नहीं
खुशियों का कोई भाव नहीं
न चेहरे पर मुस्कान कहीं
पर हँसना मेरी मजबूरी..।
विनय रूप कायरता बनती
आंखों से जलधारा बहती
हुई ध्वस्त हमारी आशा
पर हँसना मेरी मजबूरी..।
अहम भाव का ताज जहाँ हो
इंतिहान पल पल होता हो
उम्मीद वफा के टूट गई
पर हंसना मेरी मजबूरी…।
कलयुग का रावण
October 25, 2020 in Poetry on Picture Contest
– ** कलयुग का रावण -**
*********************
हे राम रमापति अजर अमर
रावण से ठाना महासमर
ले आए जग की जननी को
अपनी प्रिय अर्धांगिनी को ..।
वह रावण की मर्यादा थी
नहीं नजर लगा मान में
सीता भी महाकाली थी
लंका ढल जाती श्मशान में ..।
अब इस भारत में भी
हरण रोज ही होते हैं
कोई रामकृष्ण नहीं आता
अबला नयना रोते हैं ..।
रावण दुशासन सिर नहीं कटते
वह स्वयं काट ले जाते हैं
कहीं पर लाश पड़ी होती है
रावण जिंदा रह जाते हैं ..।
नहीं मरेगा रावण
October 24, 2020 in Poetry on Picture Contest
61-नहीं मरेगा-रावण
अहम भाव में बसता हूं मैं
कभी न मरता रावण हूं मैं
स्वर्ण मृग मारीच बनाकर
सीता को भी छलता हूं मैं..।
किसे नहीं है खतरा सोचो
केवल अपनी सोच रहे हो
रावण वृत्ति कभी न मरती
यह सुनकर क्यों भाग रहे हो..।
दुख का सागर असुर भाव है
क्या राम धरा पर आएंगे
सुप्त हुए सब धर्म-कर्म जब
रावण कैसे मर पाएंगे..।
धर्म बहुत होता त्रेता युग
तक केवल लंका में रहता
कलयुग पाप काल है ऐसा
रावण अब घर-घर में बसता.।
नहीं मरेगा रावण
October 24, 2020 in मुक्तक
61-नहीं मरेगा-रावण
अहम भाव में बसता हूं मैं
कभी न मरता रावण हूं मैं
स्वर्ण मृग मारीच बनाकर
सीता को भी छलता हूं मैं..।
किसे नहीं है खतरा सोचो
केवल अपनी सोच रहे हो
रावण वृत्ति कभी न मरती
यह सुनकर क्यों भाग रहे हो..।
दुख का सागर असुर भाव है
क्या राम धरा पर आएंगे
सुप्त हुए सब धर्म-कर्म जब
रावण कैसे मर पाएंगे..।
धर्म बहुत होता त्रेता युग
तक केवल लंका में रहता
कलयुग पाप काल है ऐसा
रावण अब घर-घर में बसता.।