उसके दर्द को क्या करू बया

March 18, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

उसके दर्द को क्या करू बया …
उसकी रूह की  चीखें  गूंज रही …
उसके आसुओ का इन्साफ मागने वाले ….
उसे अपना  सकेगे ये वो खुद से  पूछ रही ….
उसे दिया जिस जिस ने दर्द …
उससे उस दर्द की वजह पूछ रही …
लड़की होने की मिली सजा या …
आजाद खयालो की थी अर्थी …
उसकी रूह की चीखे मेरे कानो में गूंज रही …
उसके दर्द को क्या करू बया  ….
मैं  भी  तो हूँ एक लड़की ……

कहा तलाशे नारी अपना मान… मिले कहा उसे उसका उचित स्थान

March 18, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिया जल कर कभी बुझने नहीं दिया उम्मीद का..
भुला कर खुद को कर दिया रोशन नारी ने जिस जहाँ को..
काश वो कभी खुद भी उस जहा में सम्मान से जी पाती..
हर रिश्ते को मान देने वाली कभी अपनी आन बचा पाती.
जीवन देने वाली जननी,तो कभी जीवन सगनी अर्धाग्नि..
हर रिश्ते को जिसने आँचल की छाव में खून से था सींचा..
वाही नारी आज भी देती अग्नि परीक्षा बानी सीता..
क्यों मोन रह जाते सब नारी के अपमान में…
इंसान बन क्यों नहीं जीन देते उसे सम्मान  में..
जिस माँ और बहन मिलना चाहिए ताज सा मान..
मिला तो सिर्फ उसे अल्प बुद्धि लोगो की गालियो में स्थान.
कहा तलाशे नारी अपना मान… मिले कहा उसे उसका उचित स्थान…

हर एक बूँद..

February 24, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

आसमान से गिरती हर एक बूँद की अपनी एक कहानी है ..

एक गगन से गिरने के बाद भी सब को अपनी मंजिल खुद ही पानी है ..

कोई किसी खेत में फसलो को महका जाये  गी..

तो कोई मिट्टी में गिर सोंधी सोंधी  खुशबु लए गी..

कुछ मिल कर कही किसी  खड्डे  में कीचड का सबब बन जाये गी ..

तो कुछ मिल कर किसी की छत टपकाए गी ..

कोई किसी के चहरे में गिर उसे मीठी मुस्कान दे जाये गी …

तो कोई किसी के आंसू से मिल उसके गम को छुपाये गी ..

कभी किसी के लिए यादो की बारात लाएगी ये  बूंदे 

कुछ पुराने किस्से चाय की चुस्की में फिर दोहये गी ये बूंदे …

हर एक बूँद अपनी कहानी में नए किरदार  जोड़ती  जाये गी…

कभी किसी को उम्र भर की हसी तो किसी की आँखो में नमी सजाये गी…

हर मानसून की ,हर बारिश की ,हर बूँद की तरह 

एक  और मानसून की बूंदो को किसी के  किस्सों  में

या यादो के पन्नो के  हिस्सों  में  ,

जगह मिल ही जाये गी एक और  कहानी की …

हमने कलम उठाई है

February 24, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

फिर से आज हमने  कलम उठाई है…

हाथ में फिर वही पुरानी डायरी आई है…

सोच ही रहे थे कुछ नया लिखने में क्या बुराई है..

कलम से ही तो किताबो ने अपनी दुनिया सजाई है …

कुछ नया उसमे जुड़ता रहे इसीलिए तो कलम बनायीं है….

कलम ने नयी दुनिया की एक नयी पहचान बनायीं है……..

लिखते तो कई है पर…….

किसी की कलम ने उम्मीद की जोत जलायी है ….

तो किसी की कलम  ने बस आग लगायी है ….

पर इस बात में उतनी ही सचाई है ….

की हर कलम ने अपनी एक पहचान बनायीं है ………

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