हम भूल भी नहीं सकते वो बाते।

August 21, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

भंवरा अंधेरा छोड़ा है, लेकिन वो परछाई नहीं।
पागल बना है दर दर भटकने से, लेकिन हरजाई नहीं।