कोरोना या करुणा

June 8, 2020 in Poetry on Picture Contest

कोरोना या करुणा ! मानव मन की तृष्णा या फिर समय को रोककर गीता ज्ञान सुनाए कृष्ण ! विकास का अवकाश या फिर प्रकृति का राज्य –
अभिषेक ! कोरोना या करुणा ! दिखने लगे हैं जंगल के जान वर, घरों में छिपने लगे मानव जाति के सभी मान्य वर! दिखने लगा है हिमालय गंगा नदी का निर्मल पानी नहीं चलेगी मानव की मनमानी! कोरोना या करुणा! गलती की थी पासपोर्ट ने सजा काटता राशनकार्ड प्रकृति का न्याय कहो या शासन का अन्याय! शासन था मजबूर मीलों पेदल चला मजदूर! शहर का गार्डन सुंदर या गाव का मन्दिर कोरोना या करुणा! कोरोना बनकर आया है विश्व विजेता सिकंदर देखो इतिहास का मंजर! महान सिकंदर भी था जेन मुनि महावीर के आगे नटमस्तक, जेन मुनि की तरह मुह पर मास्क लगाओ कोरोना नहीं देगा दस्तक! चाणक्य की सुजबूज से भी सिकंदर का सेनापति गया हार बना रिश्ते दार! चाणक्य रूपी च्वनप्राश खाओ कोरोना रूपी सिकंदर खाली हाथ ही आएगा और खाली हाथ ही जाएगा