Ramesh
ठंडक पधारो
October 4, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
ठंडक पधारो
आ रही नवरात्रि है,
खुशियां पधारो
आ रही नवरात्रि है।
पितृपक्ष बीत कर
जा रहा है,
आज अब।
याद कर पितरों सबने
है दिया तर्पण श्रद्धा से।
अब कुछ ही दिन बाद देखो
नवरात्र पर्व आ रहा है।
ठंडक पधारो
अब मेघों का मौसम
जा रहा है।
अपशब्द लिखता है
October 11, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
रोता रह गया वो
दूसरों से गलत कह कह कर
स्वयं पूरा गलत है
दूसरों को
अपशब्द लिखता है।
नहीं कुछ शब्द उसके पास
केवल गालियां ही हैं,
ईर्ष्या से भरा है,
जल के भुन के
बात लिखता है,
जमाने को गलत खुद को
वो पाक साफ कहता है।