आवाज़

May 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हिल रही उन्माद में,
ये धरती आज है,
हो चली है आंख,
बनके अब आवाज है,
कारवों पे कारवा
कर रहा आगाज है ।