Ittefaq

March 1, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मिल जाओ कहीं तो इत्तेफ़ाक़ ही कह दूंगा…
किस्मत की अड़ में चुप कर …
दिल क जज़्बात ही कह दूंगा…
आँखों में मत देखना मेरी…
ये गुमराह कर लेती है…
छुपा राखी थी दिल की जो बातें…
बिन लफ्ज़ो क ही बयां कर देती है..