by Sumita

मैं तेरे साथ हुँ

July 20, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मुश्किल हैं ,
थोडी राह कठिन हैं ,
पर कोई नहीं,
मैं तेरे साथ हुँ ।

खुद पर भरोसा रख तू ,
कुछ न सही ,
पर कुछ सीखा हैं ।
यहीं बस यकीन रख तू ,
मैं तेरे साथ हुँ ।

आज जो हुआ ,
वो कल न होगा ,
कल जो होगा ,
वो आज से बेहतर होगा ।
यकीन खुद पर रखना होगा ,
इसीलिए मैं तेरे साथ हुँ ।

कल जहाँ मैं थी ,
आज वहाँ तू है,
मेरे संग कोई न था ,
अकेली मैं ही थी ,
पर इस बार मैं तेरे साथ हुँ ।।

by Sumita

बस! अलविदा न कह सके ।

July 20, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुछ कहा नहीं,
पर रूके भी कहाँ !
कहना था अलविदा ,
पर समय कहाँ !
इस वक्त की रहमत
कि हम न कह सके ,
न उनसे मिल सके ,
बस ! अलविदा न सके ।।

वो पास था ,
वो कोई करीबी था ,
बस ! नज़रें झुकाए
मेरे सामने खडा था ।
फिर भी,
क्यों नहीं कहा था ,
उनसे अलविदा ?

यादें ही उसकी
अब साथ हैं,
कोई साथी ही नहीं ,
कि दिखा दु अपनी नज़रों से
तस्वीर उसकी ।
रहना था साथ उसके ,
पर सफर वो अधूरा रह गया !
बस ! अलविदा ना कहा गया ।।

कोई बात नहीं दोस्त ,
मैं फिर संभालू खुद को ,
लबों पे मुस्कान रखूँ,
यही बात याद दिलाऊ खुद को ,
बस ! अलविदा ना कहना चाहूँ कभी तुझको ।।

by Sumita

कविता :- वो अकेला हैं

July 19, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो अकेला हैं ,
इसलिए साथ चाहिए ,
जो समझ सके ,
उसके हालत,
उसकी पीडा ।

वो किसान हैं,
वो अन्नदाता हैं ,
कोई और नहीं वो
एक पेड पर
फिलहाल लटकता हुआ ,
आज एक शव है !

वो तरसता हैं
हर बूँद को ,
जिसे हर घडी हम
नलों से बहाते हैं ,
वो अकेला हैं ,
इसलिए साथ चाहिए ।

शहर हुआ विकसित ,
गांव भी हुआ विकसित ,
कोई किसान से तो पूछो ,
वो कितना हुआ विकसित ।

कर्ज में डूबा हैं वो,
पहनने के लिए
दो जोडी ,
आज भी फकीर
बना हैं वो !
अकेला हैं वो ,
इसलिए साथ चाहिए ।

कुछ न सही ,
पर कुछ बूंद पानी को,
कुछ पेडों को
उसके नाम कर दो,
वो अकेला हैं,
इसलिए अब उसका साथ दो ।

अब कुछ नहीं ,
बहुत कुछ करना होगा ,
अब कोई किसान
आत्महत्या न करें ,
दृढ निश्चय
हमें करना होगा ,
अकेला नहीं अब वो,
हम सबको
उसका साथ देना होगा ।।

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