पुलवामा शहीदों को याद करते हुए मेरे कुछ शब्द। मेरा प्रथम प्रयास कुछ भी सुधार की जरूरत लगे तो कमेंट जरुर करे

February 14, 2020 in साप्ताहिक कविता प्रतियोगिता

याद आज वो मंजर आता है
पीठ में खोंफा वो खंजर आता है।
बदन पर लिपटा था तिरंगा उनके
मर मिट गए थे वतन पर जिनके
याद आता है वो वक्त
जब बाप बेटे को कंधा देने चला
धरा को वीर देने वाले तुझसे धन्य कौन है भला
वीर वधू जो अंतिम बार अपने पति को निहार रही थी
बहन जो बार-बार अपनी कलाई को देख रही थी।
पर याद आते हैं जब वो
इंकलाब वंदे मातरम जय हिंद के नारे
नम आंखों के साथ छाती फुल जाती हैं गर्व के मारे।
लाल दिया है अपना जिसने धन्य भारत की धरती को
करता हूं वंदन मै उस वीर प्रसूता नारी को।।
वतन को अपना शीश देने वाले कसम है मुझको आज तेरी
मर जाऊंगा मिट जाऊंगा पर
व्यर्थ न जाने दूंगा शहीदी तेरी।

पुलवामा शहीदों को याद करते हुए मेरे कुछ शब्द

February 14, 2020 in साप्ताहिक कविता प्रतियोगिता

याद आज वो मंजर आता है
पीठ में खोंफा वो खंजर आता है।
बदन पर लिपटा था तिरंगा उनके
मर मिट गए थे वतन पर जिनके
याद आता है वो वक्त
जब बाप बेटे को कंधा देने चला
धरा को वीर देने वाले तुझसे धन्य कौन है भला
वीर वधू जो अंतिम बार अपने पति को निहार रही थी
बहन जो बार-बार अपनी कलाई को देख रही थी।
पर याद आते हैं जब वो
इंकलाब वंदे मातरम जय हिंद के नारे
नम आंखों के साथ छाती फुल जाती हैं गर्व के मारे।
लाल दिया है अपना जिसने धन्य भारत की धरती को
करता हूं वंदन मै उस वीर प्रसूता नारी को।।
वतन को अपना शीश देने वाले कसम है मुझको आज देरी
मर जाऊंगा मिट जाऊंगा पर
व्यर्थ न जाने दूंगा शहीदी तेरी।

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