बोल दू

January 31, 2018 in गीत

बोल दू !
जो बातें दबी है इस दिल में
बोल दू!
जो साँसे महसूस होने लगी है।
मोड़ दू!
इन नगमों का रुख तेरी तरफ।
जैसे कड़ी धूप में पिघलती बर्फ के पानी मे मेरे शब्दों का फिसलना
भूझी आग की खाक में बनी राख-ए-तमन्ना
बोल दू।
इन गहरी आंखों में छुपे राज़ खोल दू!
मोल दू?
तेरी की उन बहकी बातों को
हाथों को खोल दू!
तेरा हाथ थाम लेने को?
देने को!
साथ उम्र भर का।
कहो ना!
बोल दू।
जो बातें दबी है इस दिल मे।?