शायरी की बस्ती

August 22, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक ख़्याल सा ज़ेहन में लाया जाये, शायरी की बस्ती को अलग से बसाया जाये..मख़ौल ना किसी की ख्वाईशो का उड़ाया जाये।

जहाँ हर दर्द कहा जाये, जहाँ हर दर्द सुना जाये।
बस हर दर्द को महसूस किया जाये।

ना खेलें कोई जज्बातों से,
ना खेलें कोई दिल के हालातों से..

हो कद्र जहाँ इंसानों की,
बात कह दे, तो अदब से सुना जाये।

मोहब्बत, इश्क़, प्यार को ऐसे पाला जाये,
आये तो कोई इस बस्ती में, फ़िर ना कोई ख़ाली जाये।

वो जो हो अंतर्मन में..
उसी को जीवन में लाया जाये,
टूट जाये गर ख़ुद भी, किसी का दिल ना दुखाया जाये।

एक ख़्याल सा ज़ेहन में लाया जाये, शायरी की बस्ती को अलग से बसाया जाये..📝Wahid🙏🙏

ज़िंदगी से हम अपनी कुछ उधार नही लेते

December 17, 2018 in शेर-ओ-शायरी

ज़िंदगी से हम अपनी कुछ उधार नही लेते,
कफ़न भी लेते है तो अपनी ज़िंदगी देकर!!🌹Wahid✍

मुट्ठी में छुपा कर किसी जुगनू की तरह

December 16, 2018 in शेर-ओ-शायरी

मुट्ठी में छुपा कर किसी जुगनू की तरह  …..

हम तेरे नाम को चुपके से पढ़ा करते हैं🌹✍Wahid

मैं अमन पसंद हूँ

August 15, 2018 in शेर-ओ-शायरी

मैं अमन पसंद हूँ, मेरे शहर में दंगा नहीं शांति रहने दो..!!
लाल और हरे में मत बांटो, मेरी छत पर तिरंगा रहने दो..!!

??जयहिन्द??✍वाहिद

चलो आज मेरे दर्द की इंतेहा लिखता हूँ

August 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

चलो आज मेरे दर्द की इंतेहा लिखता हूँ,

खुद ही हक़ीम बनके एक दवा लिखता हूँ।

कोई मिला दे यार से, या दे दे ज़हर कोई।

❤Wahid✍

उसको चाहा तो मोहब्बत की तकलीफ नजर आई

August 6, 2018 in शेर-ओ-शायरी

उसको चाहा तो मोहब्बत की तकलीफ नजर आई !
वरना इस मोहब्बत की बस तारीफ़ सुना करते थे..!!?Wahid✍

तुम्हारी एक मुस्कान से

July 28, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम्हारी एक मुस्कान से सुधर गई तबियत मेरी,
बताओ ना तुम इश्क़ करते हो या इलाज करते हो।

राम की खिचड़ी

July 28, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

अक्सर वही रिश्ते लाजवाब होते हैं

July 26, 2018 in शेर-ओ-शायरी

अक्सर वही रिश्ते लाजवाब होते हैं,
जो एहसानों से नहीं एहसासों से बने होते हैं।

अपने जलने मैं नहीं करता किसी को

July 26, 2018 in शेर-ओ-शायरी

अपने जलने मैं नहीं करता किसी को,
शरीक.. रात होते हीं मैं शम्मा बुझा देता हूँ।

ये इश्क है जनाब यहा इंसान निखरता भी

July 26, 2018 in शेर-ओ-शायरी

ये इश्क है जनाब यहा इंसान निखरता भी,
कमाल का है और बिखरता भी कमाल का है।

बात वफ़ाओ की होती तो कभी न हारते

July 26, 2018 in शेर-ओ-शायरी

बात वफ़ाओ की होती तो कभी न हारते,
बात नसीब की थी कुछ ना कर सके।

मैने इक माला की तरह

July 26, 2018 in शेर-ओ-शायरी

मैने इक माला की तरह तुमको अपने आप मे पिरोया हैं,
याद रखना टूटे अगर हम तो बिखर तुम भी जाओगे।

बचपन के खिलौने सा

July 26, 2018 in शेर-ओ-शायरी

बचपन के खिलौने सा कहीं छुपा लूँ तुम्हें,

आँसू बहाऊँ, पाँव पटकूँ और पा लूँ तुम्हें।

हम वो ही हैं

July 26, 2018 in शेर-ओ-शायरी

हम वो ही हैं, बस जरा ठिकाना बदल गया हैं अब,
तेरे दिल से निकल कर, अपनी औकात में रहते हैं।

जरूरी नही कि हम सबको पसंद आए

July 26, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जरूरी नही कि हम सबको पसंद आए,
बस, जिंदगी ऐसे जीओ कि रब को पसंद आए।
?

सबने कहा, बेहतर सोचो तो बेहतर होगा

July 26, 2018 in शेर-ओ-शायरी

सबने कहा, बेहतर सोचो तो बेहतर होगा,
मैंने सोचा, उसे सोचूँ, इससे बेहतर क्या होगा।

काश एक ख़्वाहिश

July 26, 2018 in शेर-ओ-शायरी

काश एक ख़्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर,
वो आके गले लगा ले मेरी इज़ाजत के बगैर।

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