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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

द्रोपदी

जिसका जन्म हुआ यज्ञ की प्रज्वलित अग्नि से जो द्रुपद की पुत्री कहलाई फूलों की नर्म सेज पर सोई एक दिन हुई पराई जिसके स्वयंवर…

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