अपने काम आप करो
……कविता…….
अपने काम, आप करो,
मजदूरों को माफ़ करो।
रहना है, अगर ठाठ से;
तो साफ-सुथरा इंसाफ करो।
हमको तुम, माफ़ करो,
अपना, मन साफ़ करो।
अपनाना है, अगर हमें;
तो पहले सीधे मुँह बात करो।
अपने दिल पर हाथ रखो,
फ़िर प्यार की बात रखो।
अब हमसे, मत कहना,
अच्छे दिन पर विश्वास रखो ।
अब और नहीं सौगात रखो,
मेहनत का अहसास रखो ।
और नहीं, चमकाना मुझे,
कपड़े ,बर्तन अपने पास रखो।
वेतन की नहीं बात करो,
तारिखों पर हिसाब करो।
अब मज़दूरी रहने दो
हिस्सेदारी की शुरुवात करो।
ओमप्रकाश चंदेल”अवसर”
पाटन दुर्ग छत्तीसगढ़
7693919758
वाह बहुत सुंदर