
आजादी
आजाद हैं हम या अफवाह है फैली चारों ओर आजादी की,
जंज़ीरों में बंधी है आजादी या बेगुनाही में सज़ा मिली है आजादी की,
हकीकत है भी हमारे देश की आजादी की,
या बस गुमराह ख्वाबो की बात है आजादी की,
दिन रात सरहद पर डटे हैं फौजी घाटी की,
सो खाई थी कसम ज़ंज़ीर तोड़ देंगे गुलाम आजादी की॥
राही (अंजाना)
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Kamal Tripathi - August 22, 2016, 3:54 pm
बेहतरीन जी
Satish Pandey - July 31, 2020, 8:42 am
वाह