Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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सच में सब कुछ बदल गया
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ख्वाहिश
समझदार हो गर, तो फिर खुद ही समझो। बताने से समझे तो क्या फायदा है॥ जो हो ख़ैरियतमंद सच्चे हमारे, तो हालत हमारी ख़ुद ही…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
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अब गुनाह में नीयत नहीं देखी जाती
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बहुत खूब
Thank you
Very nice
Thank you ji
बहुत सुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद
अकसर यही होता आया है
Thanks जी
बहुत खूबसूरत रचना है सतीश जी। कवि ने मन के भावों का अति सुंदरता से वर्णन किया है ।लेखनी की प्रखरता की जितनी तारीफ करें उतनी काम है। लेखनी को प्रणाम ।
आपकी समीक्षा प्रेरणादायक है। भावों पर इतनी सुंदर पकड़ एक सुलझे हुए कवि की लेखनी ही कर सकती है। बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी।
अतिसुंदर भाव
सादर नमस्कार, धन्यवाद
Nice lines
Thank you ji
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी
बहुत बढ़िया
बहुत बहुत धन्यवाद जी