आज नजदीक से देखा उनको

आज नजदीक से देखा उनको
तब से मन में बदल गया सब कुछ,
हम तो कुछ और ही सोचे थे मगर
उनमें कुछ और ही मिला।
हम तो समझे थे वे बड़े वो हैं
मगर नजदीक से देखी सूरत,
वे तो हैं नेह की खिलती मूरत
उनमें सब कुछ सरल ही मिला।

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Responses

  1. बहुत खूबसूरत रचना है सतीश जी। कवि ने मन के भावों का अति सुंदरता से वर्णन किया है ।लेखनी की प्रखरता की जितनी तारीफ करें उतनी काम है। लेखनी को प्रणाम ।

    1. आपकी समीक्षा प्रेरणादायक है। भावों पर इतनी सुंदर पकड़ एक सुलझे हुए कवि की लेखनी ही कर सकती है। बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी।

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