Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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शानदार पाण्डेय जी
सादर धन्यवाद
Badhiya
thanks
👍
धन्यवाद जी
Nice
धन्यवाद ji
sachchi kavita
thank you
बहुत खूब
धन्यवाद जी
बाहरी
आवरण मेरा बहुत ही भव्य है,
आचरण में दाग धब्बे पड़ गए,
जम गई अंतः पटल में कालिमा
बाहरी दिखने की है यह लालिमा।
– डॉ0 सतीश पाण्डेय, चम्पावत
उत्तराखंड।
वाह उत्तम
kam