इतना आसान नहीं
मोहब्बत को भूला देना, इतना आसान नहीं।
फैसला सुना दिया, मैं कोई बेजुबान नहीं।
मेरे सीने में भी दिल है, दर्द है, तड़प है,
पत्थर तो नहीं, कैसे समझ लिया इंसान नहीं।
अश्क सूख चुके, खून बहाया है तेरे वास्ते,
इससे बढ़कर मेरी मोहब्बत का निशान नहीं।
ये तो खून है, आज़मा लो दे सकते हैं जान भी,
मेरी मोहब्बत से तो तू वाकिफ है अंजान नहीं।
हंसते हुए दर्द का ज़हर पी जाऊं वो ‘देव’ नहीं,
मैं भी तेरी तरह इंसान हूं, कोई भगवान नहीं।
देवेश साखरे ‘देव’
nice
Thanks
बहुत सुंदर भाव पूर्ण रचना
आभार आपका
Good
Thanks
Welcome
Nice
Thanks
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Wah
Thanks
सुन्दर
धन्यवाद
सुन्दर रचना
धन्यवाद
Best
Thanks