एक ऐसी ईद

एक ऐसी ईद भी आई

एक ऐसी नवरात गई

जब न मंदिरों में घंटे बजे

न मस्जिदों में चहल कदमी हुई

बाँध रखा था हमने जिनको

अपने सोच की चार दीवारों में

अब समझा तो जाना

हर तरफ उसके ही नूर से

दुनिया सजी

एक ऐसी ईद भी आई

एक ऐसी नवरात गई

मैं जिधर देखूं वो ही वो है

हर जीव हर ज़र्रे में वो है

कोई जगह नहीं इस दुनिया में

जहाँ से उसने अपने बच्चों की न सुनी

एक ऐसी ईद भी आई

एक ऐसी नवरात गई

किसने सोचा था ऐसे भी

दिन आयेंगे

मंदिरों दरगाहों गुरूद्वारे और चर्च के

बाहर से

फूलों के ठेले हट जायेंगे

उसका दिया उसको ही देकर

हमने सोचा था हमारी बात बनी

एक ऐसी ईद भी आई

एक ऐसी नवरात गई

ये वख्त हमे कुछ और सीखा रहा है

ढोंग दिखावे से दूर ले जा रहा है

ऐसा लगता है इश्वर ने नशा मुक्ति केंद्र

है खोला

जिसमे हम सब की भीड़ लगी

एक ऐसी ईद भी आई

एक ऐसी नवरात गई

माना हमें तकलीफ बहुत है

पर इसमे जो निखरेगा

उस को ही हासिल रब है

समझ लो हमारे गुनाहों की

बस थोड़ी सी सजा मिली

एक ऐसी ईद भी आई

एक ऐसी नवरात गई ………

आप सबको रमजान का महीना बहुत बहुत मुबारक !

अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

New Report

Close