ओ खुदा!

बेसुध हो पड़ा है ंमजदूर जमीं पर
ओ खुदा! थोड़ा तो रहम कर इस पर

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मजदूर

वो आसां ज़िंदगी से जाके इतनी दूर बनता है, कई मजबूरियाँ मिलती हैं तब मजदूर बनता है । वो जब हालात के पाटों में पिसकर…

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