कश्मीर जरुरी है

पितरों के तर्पण को जैसे, थाली में खीर जरुरी है,
भारत माँ के श्रृंगार को वैसे, ही कश्मीर जरुरी है|
चमकी थी जो सत्तावन में, अब वो तलवार जरुरी है,
प्यार मोह्हबत बहुत हो गया, अब तो वार जरुरी है |
खूब बहा लिया लहू सीमा पर, भारत माँ के लालों ने,
जागो नींद से देशवासियों अब, इक हुंकार जरुरी है|
भेद ना पाए दुश्मन सीमा को, ऐसी पतवार जरुरी है,
और देश के गद्दारों को अब, दुत्कार जरुरी है |
ऋषभ जैन “आदि”
बेहतरीन जी
Wah
बहुत सुंदर भाव