कृष्ण दीवानी
तोसे प्रीत लगाई कान्हा रे!
जोगन बन आई कान्हा रे।
तोसे प्रीत लगाई कान्हा रे।
१. लाख विनती कर हारी,
राधा तेरी दीवानी,
तेरे दरस की प्यासी
मैं हूं तेरी कहानी,
कान्हा मुझ में समा जा!
बंसी की धुन सुना जा।
मोहे कृष्णा बना जा!
आजा कान्हा!
तोसे प्रीत लगा,…
२. तू है मेरा कन्हाई!
फिर काहे यह लड़ाई।
तेरी याद करूं मैं,
आठों प्रहर मरूं मै।
क्यों ना समझे तू कृष्णा ?
मन में तेरी है तृष्णा।
क्यूकी!
तोसे प्रीत लगा…
३. डोर खींचे तेरी ओर,
चले मेरा ना ही जोर।
सुन मोरे चितचोर,
मोरी बईया ना मरोड़।
सपनों में तू ही कान्हा,
आंखों में तू ही कान्हा।
मेरे मन में तू ही कान्हा,
बंसी की धुन सुनाना।
सुना कान्हा!
तो से प्रीत…..
४. तेरी बंसी बजी है ,
राधा मगन भई है।
आजा मुझ में समा जा,
कृष्ण राधे कहां जा।
कान्हा,कान्हा,कान्हा,कान्हा,
माखन खाने तो आजा।
नटखट कान्हा
तोसे प्रीत लगाई……. ।
निमिषा सिंघल
Nice
🙏🙏
सुन्दर रचना
,💐
Nice
❤️❤️❤️
Bahut khub
Thank you
Nice
🙏🙏
वाह बहुत सुंदर
बहुत आभार
👏👏👏