गजल
मधुमास बिगत माधव बड़ आयल।
नवल हास परिहास जग छायल।।
फूल खिलल बगिया में देखू
आमक गाछी टिकुला सॅ छायल।
कटहर कोचरल जामुन मजरल
गन्ध सुगन्ध चहुदिश छायल।।
“पिया -पिया “जौं पपिहा बाजय
झणिक उठल झणि पायल।
‘विनयचंद ‘ई गजल सुनाय
भेल मधुआ कें कायल।।
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Dhruv kumar - April 9, 2020, 10:00 am
नीक
Priya Choudhary - April 9, 2020, 11:28 am
Wah ✍👍
Pragya Shukla - April 9, 2020, 11:48 am
Good
NIMISHA SINGHAL - April 14, 2020, 2:53 pm
,👏👏👏👏
Abhishek kumar - May 10, 2020, 10:47 pm
गुड