गजल
मधुमास बिगत माधव बड़ आयल।
नवल हास परिहास जग छायल।।
फूल खिलल बगिया में देखू
आमक गाछी टिकुला सॅ छायल।
कटहर कोचरल जामुन मजरल
गन्ध सुगन्ध चहुदिश छायल।।
“पिया -पिया “जौं पपिहा बाजय
झणिक उठल झणि पायल।
‘विनयचंद ‘ई गजल सुनाय
भेल मधुआ कें कायल।।
नीक
Wah ✍👍
Good
,👏👏👏👏
गुड