गहराई
हर रोज़ मन की गहराइयों में सिमट जाता है कोई,
आकर अपनी ही परछाइयों से लिपट जाता है कोई।।
राही अंजाना
हर रोज़ मन की गहराइयों में सिमट जाता है कोई,
आकर अपनी ही परछाइयों से लिपट जाता है कोई।।
राही अंजाना
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Bahut khoob bhai
वाह
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nice
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बहुत खूब
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🤐
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Nice
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Nice
धन्य
Waah
वाह
ढNयवाद
Good