चंद बातें
•••
जब सुनता हूँ
कभी दिल की
ज़ेहन ये कहता है
संभल कमबख़्त
किस उलझन में
तू उलझा रहता है
शाम ढले सर्द हवा
कुछ सहमी सी
ख़ामोश फ़िज़ा।
शब-ए-तन्हाई
में दिल पर
कुहासा रहता है।।
क़ब्ल में कब हुई
गुफ़्तगू उससे
कुछ याद नही।
वो अब भी मुझसे
न जाने क्यूँ
खफ़ा सा रहता है।।
क़ायम कब तलक
रहेंगे सिलसिले
अदावत के।
यक़ीनन आएगा
वो लौट कर दिल
ये मेरा कहता है।।
•••
@deovrat 08.10.2019
सुंदर
Thank you so much shastri ji
बहुत सुंदर
shukriya devesh ji
Nice
Thanks
Wah wah wah
नीतू जी पसंद करने के लिए हृदयतल से आभार
nice
जी शुक्रिया
वाह
धन्यवाद राही जी
Good
Thanks
सुपर
शुक्रिया जी