तिजारत बन गई है

तालीम और इलाज, तिजारत बन गई है।
कठपुतली अमीरों की, सियासत बन गई है।

मज़हबी और तहज़ीबी था, कभी मुल्क मेरा,
वह गुज़रा ज़माना, अब इबारत बन गई है।

लोग इंसानियत की मिसाल हुआ करते कभी,
आज दौलत ही लोगों की इबादत बन गई है।

धधक रहा मुल्क, कुछ आग मेरे सीने में भी,
दहशतगर्दों का गुनाह हिक़ारत बन गई है।

यहाँ कौन सुने दुहाई, कहाँ मिलेगी रिहाई,
ज़ेहन ख़ुद-परस्ती की हिरासत बन गई है।

देवेश साखरे ‘देव’

तिजारत- व्यापार, इबारत- अनुलेख,
इबादत- पूजा, हिक़ारत- तिरस्कार,

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

कोरोनवायरस -२०१९” -२

कोरोनवायरस -२०१९” -२ —————————- कोरोनावायरस एक संक्रामक बीमारी है| इसके इलाज की खोज में अभी संपूर्ण देश के वैज्ञानिक खोज में लगे हैं | बीमारी…

Responses

New Report

Close