तिजारत बन गई है
तालीम और इलाज, तिजारत बन गई है।
कठपुतली अमीरों की, सियासत बन गई है।
मज़हबी और तहज़ीबी था, कभी मुल्क मेरा,
वह गुज़रा ज़माना, अब इबारत बन गई है।
लोग इंसानियत की मिसाल हुआ करते कभी,
आज दौलत ही लोगों की इबादत बन गई है।
धधक रहा मुल्क, कुछ आग मेरे सीने में भी,
दहशतगर्दों का गुनाह हिक़ारत बन गई है।
यहाँ कौन सुने दुहाई, कहाँ मिलेगी रिहाई,
ज़ेहन ख़ुद-परस्ती की हिरासत बन गई है।
देवेश साखरे ‘देव’
तिजारत- व्यापार, इबारत- अनुलेख,
इबादत- पूजा, हिक़ारत- तिरस्कार,
👌👌
Thanks
अतिसुंदर भाव
आभार आपका
Sundar
धन्यवाद
Welcome
बहुत अच्छा
धन्यवाद
👏👏👏
Thanks
Sundar pankti
आभार आपका
Bahut khoob