तिरंगा

माँ की गोद छोड़, माँ के लिए ही वो लड़ते हैं,
वो हर पल हर लम्हां चिरागों से कहीं जलते हैं,
भेज कर पैगाम वो हवाओं के ज़रिये,
धड़कनें वो अपनी माँ की सुनते हैं,
हो हाल गम्भीर जब कभी कहीं वो,
चुप रहकर ही वो सरहद के हर पल को बयाँ करते हैं,
रहते हैं वो दिन रात सरहद पर,
और सपनों में अपनी माँ से मिलते हैं,
वो लड़कर तिरंगे की शान की खातिर,
तिरंगे में ही लिपटकर अपना जिस्म छोड़ते हैं,
जो करते हैं बलिदान सरहद पर,
चलो मिलकर आज हम उन सभी को,
नमन करते हैं नमन करते हैं नमन करते हैं॥
राही (अंजाना)
Nice
10X bro
heart touching
Thanks
bahut badiya ji
Thanks
जय हिंद