Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: poetry with panna, शायरी
Panna
Panna.....Ek Khayal...Pathraya Sa!
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
” बड़ी फ़ुरसत में मिला मुझ से ख़ुदा है…”
मेरी सांसो में तू महकता हैँ क़ायनात – ए – ग़ैरों में तू ही अपना लगता हैँ 1 . होंठों की ख़ामोशी समझा…
काश
देखता हूँ अक्सर खिड़की से, कुछ कोयल दाना चुगती हैं फुदक फुदक कर चुगते चुगते फिर वो सब उड़जाती हैं काश मैं भी उड़पाता, रंग…
किनारे पर बैठे बैठे हम कैसे दरिया में डूब रहे हैं
किनारे पर बैठे बैठे हम कैसे दरिया में डूब रहे हैं, न जाने इतना गहरा दरिया हम कैसे देख रहे हैं, आरक्षण का पानी पीकर…
मीनाकुमारी —- एक भावांजलि
***************************** “ कहते हैं ज़माने में सिला; नहीं मिलता मुहब्बत का । हमको तो मुहब्बत ने; इक हसीं दर्द दिया है ॥ “ : अनुपम…
behtareen…
thanks 🙂
nice one!
Good
Wah
Nice
Very nice
Waah
वाह वाह