नव वर्ष
नव वर्ष आने को है,
कुछ भुलाने को है कुछ याद दिलाने को है,
सच कहूँ तो हमे बहुत कुछ सिखाने को है,
छुप गई थीं जो बातेँ बादल के पीछे कहीँ,
उन उम्मीदों पर जो पड़ा पर्दा हटाने को है,
सपनों की हकीकत बताने को है,
नए रिश्तों के चेहरा दिखाने को है,
टूट गई थी कभी जो राहें कहीँ,
उन राहों पर पगडण्डी बनाने को है,
नव वर्ष आने को है,
उड़ने को काफी नहीं पंख देखो,
हौंसलो के घने पंख फैलाने को है,
बीती बातों का आँगन भुलाने को है,
नई आशा जगाने और निराशा सुलाने को है,
नव वर्ष आने को है।।
राही अंजाना
बढ़िया
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अतिउत्तम
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सुन्दर रचना
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मस्त।
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Nyc