Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Ankit Bhadouria
A CA student by studies, A poet by passion, A teacher by hobby and a guide by nature. Simply I am, what I am !!
:- "AkS"
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
तेरा सजदा – 109
तेरा सजदा – 109 कोई तुझमें सिमट कर सकून पाता है कोई तन में सिमट कर सकून पाता है ………
मुझको बचाओ मुझको पढ़ाओ
कन्या बचाओ खुद कन्या कहती है- मुझको बचाओ तुम मुझको बचाओ, सपना नहीं अब हकीकत बनाओ, बेटा और बेटी का फर्क मिटाओ, बेटी बचाओ अब…
हमारे नेता
हमारे नेता…. हम भी बहुत मजबूर हैं साहब लात मार घुसा सह रहे हैं साहब गाली सुबह शाम खा रहे हैं साहब क्योंकि हमारे नेता…
Nice one 🙂
thaaaaaaanq uuuu dear