“ना-समझ ख्वाब” #2Liner-109
ღღ__ब-मुश्किल थपकियाँ देकर सुलाती है, नींद मुझको “साहब”;
पर कुछ ना-समझ ख्वाब हैं उनके, जो बे-वक़्त जगा देते हैं!!…#अक्स
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Rohan Sharma - April 29, 2016, 6:09 pm
Nice one 🙂
Ankit Bhadouria - April 29, 2016, 11:57 pm
thaaaaaaanq uuuu dear
Pragya Shukla - April 18, 2021, 7:18 pm
Wah wah